Brand: Suruchi Prakashan
Product Code: Suruchi-3055
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 गोवंश का संरक्षण व उसके प्रति स्नेह-सम्मान का भाव प्राचीन काल से भारतीय सभ्यता व संस्कृति का महत्त्वपूर्ण अंग रहा है। गाय को भारत में कृषि, स्वास्थ्य, पवित्रता व ममतामयी प्रेम का मूल प्रतीक माना गया है। हजारों वर्षों से गाय हिन्दू धर्म व संस्कृति एवं आस्था का प्रमुख केन्द्र रही है। संत विनोबा भावे के शब्दों में, “भगवान ने गाय को लोक कल्याण के लिये ही बनाया है। वह हमारी सेवा और प्रेम को पहचानती है और सदा त्याग की अविरल भावना से ओतप्रोत अधिक से अधिक योगदान करने के लिये तत्पर रहती है।” गाय प्रेम, त्याग, करुणा, उदारता, धैर्य, गंभीरता एवं सन्तोष की साक्षात् मूत्र्ति है। वस्तुतः सम्पूर्ण विश्व में गाय के समान महत्त्वपूर्ण व मूल्यवान पशु कोई दूसरा नहीं है। जर्मनी के कृषि वैज्ञानिक डा. जुलिशिस के मत में गाय अपनी श्वाँस से प्राणवायु-आक्सीजन छोड़ती है। गाय के शरीर में गूगल की गन्ध प्रवाहित रहती है, जो प्रदूषण को नष्ट करती है। प्रकृति एवं पर्यावरण में सन्तुलन बनाये रखने और उसके संरक्षण में गाय का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। गोवंश धर्म व अर्थ का पोषण करता है। धर्म से मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा अर्थ से सांसारिक कामनाओं की पूर्ति होती है। इस प्रकार गाय न केवल हमारे आर्थिक व सामाजिक लक्ष्यों की पूर्ति करती है, वह हमारी आस्था व आध्यात्म का भी मुख्य केन्द्र है। 

Product Details
Pages 88
Binding Style Paper Back
Language Hindi
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